मुददतों खुद की कुछ खबर न लगे,
कोई अच्छा भी इस कदर न लगे
बस तुझे उस नजर से देखा है,
जिस नजर से तुझे नजर न लगे
में जिसे दिल से प्यार करता हूं,
चाहता हूं उसे खबर न लगे
वो मेरा दोस्त भी है दुश्मन भी,
वददुआ दूं उसे पर न लगे
ये सोचना गलत है कि तुम पर नजर नहीं,
मशरूफ हम वहुत हैं मगर वेखबर नहीं
और अव तो खुद अपने खून ने भी साफ कह दिया
में आप का रहुंगा मगर उम्र भर नहीं
- श्री आलोक श्रीवास्तव (Alok Srivastav)
Wonderful
ReplyDeleteAlok shrivastva sahab. Bahut khoob kah rahe h kahte rahiega.
ReplyDeleteAapke chahme walo m ek naam shumaar kr lijiega