मिले हर जख्म को मुस्कान से सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर जहर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दास्तां में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हें जीना नहीं आया
वहुत विखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर में बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया पर प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नहीं पाई कभी में कह नहीं पाया
तुम्हारा ख्वाव जैसे गम को अपनाने से डरता है
हमारी आंख का आंसू खुशी पाने से डरता है
अजब है लत्फ ए गम भी जो मेरा दिल अभी कल तक
तेरे जाने से डरता था कि अब आने से डरता है
- डा0 कुमार विश्वास (Dr. Kumar Viswas)
Maja Aa gaya.
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