Saturday 2 February 2013

राधा कृष्ण कविता (Radha Krishn Kavita by Bhai Deval Ashish)


कि विश्व को मोहमयी महिमा के असंख्य स्वरूप दिखा गया कान्हां,
सारथी तो कभी प्रेमी बना तो गुरू धर्म निभा गया कान्हां
रूप विराट धरा तो धरा तो धराहर लोक पे छा गया कान्हां
रूप किया इतना लघु तो यशोदा की गोद में आ गया कान्हां
चोरी छुपे चढ़ बैठा अटारी पे चोरी से माखन खा गया कान्हां
गोपियों के कभी चीर चुराये कभी मटकी चटका गया कान्हां
खाग था घोर बड़ा चितचोर कि चोरी में नाम कमा गया कान्हां
मीरा की रैन की नैन की नींद कि राधा का चैन चुरा गया कान्हां
कि राधा ने त्याग का पंथ बुहारा तो पंथ पर फूल विछा गया कान्हां
राधा ने प्रेम की आन निभायी तो आन का मान वढ़ा गया कान्हां
कान्हां के तेज को भा गयी राधा तो राधा के रूप को भा गया कान्हां
कान्हां को कान्हां बना गयी राधा तो राधा को राधा बना गया कान्हां

कान्हां को कान्हां बना गयी राधा तो ......... राधा को राधा बना गया कान्हां

गोपियॉ गोकुल में ​थी अनेक परन्तु गोपाल को भा गयी राधा
बॉध के पाश में नाग नथैया को काम विजेता बना गयी राधा
कि काम विजेता को प्रेम प्रणेता को प्रेम पीयूष पिला गयी राधा
विश्व को नाच नचाता है जो उस श्याम को नाच नचा गयी राधा
त्यागियों में अनुरागियों में बड़भागी की नाम लिखा गयी राधा
रंग में कान्हां के ऐसी रंगी रंग कान्हां के रंग नहा गयी राधा
प्रेम है भक्ति से बढ़कर ये बात सभी को सिखा गयी राधा
संत महंत तो ध्याया किये और माखनचोर को पा गयी राधा
ब्याही ना श्याम के संग न द्वारिका या मथुरा मिथला गयी राधा
पायी न रूकमणी साधन बैभव सम्पदा को ठुकरा गयी राधा
किन्तु उपाधि और मान गोपाल की रानियों से वढ़ पा गयी राधा
ज्ञानी बड़ी अभिमानी बड़ी पटरानी को पानी पिला गयी राधा
हार के श्याम को जीत गयी अनुराग का अर्थ् बता गयी राधा
पीर पे पीर सहीं पर प्यार को शाश्वत कीर्ति दिला गयी राधा
कान्हां को पा सकती ​थी प्रिया पर प्रीत की रीत निभा गयी राधा
कृष्ण ने लाख कहा पर संग में ना गयी तो फिर ना गयी राधा

कृष्ण ने लाख कहा पर संग में ना गयी......तो फिर ना गयी राधा .......

— भाई श्री देवल आशीष (Deval Ashish)

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