इस उ्ड़ान पर अब शर्मिन्दा में भी हूं और तू भी है,
आसमान से गिरा परिन्दा में भी हूं और तू भी है
छूट गयी रास्ते में जीने मरने की सारी कस्में,
अपने अपने हाल में जिन्दा में भी हूं और तू भी है
खुशहाली में एक बदहाली में भी हूं और तू भी है,
हर निगाह पर एक सवाली में भी हूं और तू भी है
दुनिया कुछ भी अर्थ लगाये हम दोंनों को मालूम है,
भरे भरे पर खाली खाली में भी हूं और तू भी है
-डा0 कुमार विश्वास (Dr. Kumar Vishwas)
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