लगती हो रात में प्रभात की किरन सी
किरन से कोमल कपास की छुवन सी
छुवन सी लगती हो किसी लोकगीत की
लोकगीत जिस में बसी हो गन्ध प्रीत की
तो प्रीत को नमन एक बार कर लो प्रिये
एक बार जीवन में प्यार कर लो प्रिये.................
प्यार ठुकरा के मत भटको विकल सी
विकल हृदय में मचा दो हलचल सी
हलचल प्रीत की मचा दो एक पल को
एक पल में ही खिल जाओगी कमल सी
प्यार के सलोने पंख बॉध लो सपन में
सपन को सजने दो चंचल नयन में
नयन झुका के अपना लो किसी नाम को
किसी प्रिय नाम को बसा लो तन मन में
तो मन पे किसी के अधिकार कर लो प्रिये
एक बार जीवन में प्यार कर लो प्रिये .................
प्यार है पवित्रपुंज प्यार पुन्यधाम है
पुण्यधाम जिसमें कि राधिका है श्याम है
श्याम की मुरलिया ही हर गूंज प्यार है
प्यार कर्म, प्यार धर्म, प्यार प्रभु नाम है
प्यार एक प्यास, प्यार अमृत का ताल है
ताल में नहाये हुये चन्द्रमा की चाल है
चाल बन्नवारियों हिरनियों की प्यार है
प्यार देव मन्दिर की आरती का थाल है
तो थाल आरती का है विचार कर लो प्रिये
एक बार जीवन में प्यार कर लो प्रिये .................
प्यार की शरण जाओगी तो तर जाओगी
जाओगी नहीं तो आयु भर पक्षताओगी
पक्षताओगी जो किया आप मान रूप का
रंग रूप यौवन दुबारा नहीं पाओगी।
युगों की जानी अन्जानी पल भर की
अन्जानी जग की कहानी पल भर की
वस पल भर की कहानी इस रूप की
रूप पल भर का जवानी पल भर की
तो अपनी जवानी का श्रंगार कर लो प्रिये
एक बार जीवन में प्यार कर लो प्रिये ................
— श्री देवल आशिष श्रंगार कवि
Bahut hi sundar rachna..
ReplyDeletepaer rus me sunder kavita
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