हिंदी कविता, मुक्तक, एवं गजल संग्रह
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श्रंगार रस की कविताएँ
वीर रस की कवितायेँ
Tuesday, 22 January 2013
हमने तो बाजी प्यार की हारी ही नहीं है
हमने तो बाजी प्यार की हारी ही नहीं है
जो चॅूंके निशाना वो शिकारी ही नहीं है
कमरे में इसे तू ही बता कैसे सजायें
तस्वीर तेरी दिल से उतारी ही नहीं है।
— कवि देवल आशीष
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