हिंदी कविता, मुक्तक, एवं गजल संग्रह
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श्रंगार रस की कविताएँ
वीर रस की कवितायेँ
Tuesday, 22 January 2013
उलझ के ऐसे मुहब्बत का फलसफा रह जाये
उलझ के ऐसे मुहब्बत का फलसफा रह जाये,
ना कुछ भी ख्वावो हकीकत में फॉसला रह जाये
वहॉ से देखा है तुझको जहॉ से तू खुद भी
जो अपने आपको देखे तो देखता रह जाये।
— कवि
देवल आशीष
2 comments:
Unknown
8 May 2021 at 22:21
Naman he ese sahityakar ko
🙏🙏🙏🙏
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Amit tiwari
31 July 2021 at 03:10
Nice 🙂
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Naman he ese sahityakar ko
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏
Nice 🙂
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