Wednesday, 22 May 2013

तुमको चाहा और कुछ सोचा नहीं


हमने दुनिया की तरफ देखा नहीं
तुमको चाहा और कुछ सोचा नहीं

दिल कि जैसे पाक मरियम की दुआ
उसके चेहरे पर कोई चहरा नहीं

ख्वाव तो कब के तुम्हारे हो चुके है
एक दिल था वो भी अब मेरा नहीं

तुमने आखिर सुबह से क्या कह दिया
आज सूरज शर्म से निकला नहीं

- श्री आलोक श्रीवास्‍तव (Alok Shrivastv)

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