Monday 10 March 2014

कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं,

कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं,
रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं

मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहॉं
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं

ऑंसूओं और शराबों में गुजारी है हयात
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं

जाने क्‍या टूटा हे पैमाना कि दिल है मेरा
विखरे-विखरे है खयालात मुझे होश नहीं

- डा0 राहत इन्‍दौरी साहब
(Dr. Indori Sahab)

Thursday 2 January 2014

सूरज पर प्रतिबंध अनेकों

सूरज पर प्रतिबंध अनेकों
और भरोसा रातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हॅसना झूठी बातों पर

हमने जीवन की चौसर पर
दॉव लगाए ऑसू वाले
कुछ लोगों ने हर पल, हर दिन
मौके देखे बदले पाले
हम शंकित सच पा अपने,
वे मुग्‍ध स्‍वयं की घातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हॅसना झूठी बातों पर

हम तक आकर लौट गई हैं
मौसम की बेशर्म क़पाऐं
हमने सेहरे के संग बॉधी
अपनी सब मासूम खताऐं
हमने कभी न रखा स्‍वयं को
अवसर के अनुपातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हॅंसना झूठी बातों पर


-डॉ0 कुमार विश्‍वास (Dr Kumar Viswash) 

Tuesday 11 June 2013

बीमार को मरज की दवा देनी चाहिये

बीमार को मरज की दवा देनी चाहिये
में पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिये
अल्लाह बरकतों से नवाजेगा इश्क में
है जितनी पूंजी पास लगा देनी चाहिये
में ताज हूं तो ताज को सर पर सजायें लोग

में खाक हूं तो खाक उड़ा देनी चाहिये

कभी दिमाक कभी दिल कभी नजर में रहो
ये सब तुम्हारे ही घर है किसी भी घर में रहो

-साभार राहत इन्‍दौरी साहब 

Monday 10 June 2013

चलो इश्क करें......

आज हम दोंनों को फुर्सत है चलो इश्क करें
इश्क दोंनों की जरूरत है चलो इश्क करें
इसमें नुकसान का खतरा ही नहीं रहता है
ये मुनाफे की फिजारत है चलो इश्क करे
आप हिन्दु में मुसलमान ये ईसाई वो सिख

यार छोड़ो ये सियासत है चलो इश्क करें......

जाके ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तैयारी से
वादशाहों से भी फेंके हुये सिक्के न लिये
हमने खैरात भी मांगी है तो खुददारी से 

- साभार राहत इन्‍दौरी साहब

Thursday 6 June 2013

समन्दरों के सफर में हवा चलाता है

समन्दरों के सफर में हवा चलाता है
जहाज खुद नहीं चलते खुदा चलाता है

तुझे खबर नहीं मेले में घूमने वाले
तेरी दुकान कोई दूसरा चलाता है

ये लोग पांव नहीं जहन से अपाहिज है
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है

हम अपने वूढे चिरागों पे खूब इतराये

और उसको भूल गये जो हवा चलाता है

-साभार राहत इन्‍दौरी साहब