Thursday, 4 April 2013

अम्मा (Amma)


अम्मा (मॉं) / Amma (Maa)

चिन्तन, दर्शन, जीवन, सर्जन, रूह, नजर पर छायी अम्मा
सारे घर का शोर—शराबा, सूनापन, तन्हाई अम्मा

सारे रिश्ते जेठ—दुपहरी, गर्म—हवा, आतिश—अंगारे
झरना दरिया झील सम्न्दर भीनी सी पुरवाई अम्मा

घर में झीने रिश्ते मेंने लाखों बार उधरते देखे
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा

उसने खुद को खोकर मुझमें एक नया आकार लिया है
धरती, अम्बर, आग, हवा, जल जैसी ही सच्चाई अम्मा

बाबूजी गुजरे आपस में सब चीजें तक्सीन हुई जब
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से आई अम्मा


—आलोक श्रीवास्तव (Alok Shrivastav)




3 comments:

  1. मानव का पहला समबोधन "माँ" है!
    पीडा का हर उदबोधन "माँ है !!
    जिस पर नत मस्तक पराक्रमी सब,
    उस अबला का अवलम्बन "माँ"है!!
    स्र्ष्टी के हर प्राणी पर अधिकार उसे,
    जीवन दात्री का अभिनन्दन "माँ"है!!
    प्रतिपल,प्रति छण पूज रहा जिसको,
    मानव का निश्चित संवर्धन "माँ" है!
    भारतीय संस्क्रति का है यह ह्रास ,
    जन्म अधर मे लटका ,वह"माँ" है!!
    बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

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  2. ग्रंथ लिखूं फिर भी कम है गीत ग़ज़ल की बात करूं क्या
    लिखे नहीं वो शब्द ब्रह्म ने जो मां के ओहदा को कह पाए

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