Sunday 14 April 2013

सोच समझ कर करना पंथी यहॉं किसी से प्यार


सोच समझ कर करना पंथी यहॉं किसी से प्यार
चांदी का यह देश,यहॉं के छलिया राजकुमार
किसे यहॉ अवकाश सुने जो तेरी करूण कराहें
तुझ पर करें बयार, यहॉं सूनी हैं किसकी बाहें
बादल बन कर खोज रहा तू किसको इस मरूथल में
कौन यहॉ, व्याकुल हों जिसकी तेरे लिए निगाहें
फूलों की यह हाट लगी है, मुस्कानों का मेला
कौन खरीदेगा तेरे सूखे आंसू दो चार
सोच समझ कर करना पंथी यहॉ किसी से प्यार ।

— पदमश्री गोपाल दास नीरज

2 comments:

  1. बहुत ही अच्‍छा प्रयास है हिन्‍दी के प्रख्‍यात कवियों की कवितायें एक ही स्‍थान पर पढकर अच्‍छा लगा अगर हास्‍य कवियों को भी शामिल करों तो संग्रह और भी अच्‍छा बन जायेगा
    और कभी समय मिले तो यहॉ भी पधारों कुछ अच्‍छे लेख लिखने की कोशिश की है
    मेरी नई पोस्‍ट है
    Earn Money Online इन्‍टरनेट से कमाई कैसे करें

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